Saturday, May 3, 2008

मुहब्बत

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.

नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है.
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है.
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.

डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है.
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में.
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.

असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो.
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्श का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम.
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती

सर से पांव तक वह गुलाबों का शजर लगता हे
बा वजू होके भी छूते हुए डर लगता हे
मेरे अन्दर्कोई रहने लगा दुश्मन जानी मेरा
ख़ुद से मिलते हुए तन्हाई मी डर लगता हे
बुत भी रख्खे हें नमजें भी अदा होती हें
दिल मेरा दिल नही अल्लाह का घर लगता हे
मी तेरे साथ सितारों से गुज़र सकता हूँ
कितना आसन मुहब्बत का सफर लगता हे
ज़िंदगी तुने मुझे काबर से कम दी हे ज़मीं
पाऊँ फेलाऊँ तो देवर मी सर लगता हे

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