तबियत बदलने के लिए बदल दिया हमने ये शहर फिर भी
दो पल की मोहब्बत
मेरी नजर मिलते ही उसकी पलकें झुक जाती हैं
न मेरी नजर हटती हैं, न उसकी पलकें उठती हैं
दोनों की जिद में धड़कने ट्रेन की रफ़्तार पकड़ती हैं
फिर में ही नज़र हटा लेता हु उसकी आबरू रखने के लिए
कुछ यु मेरी मोहब्बत रोजाना उसकी हया से मात खाती हैं
और दूरियां कभी दरारों को पैदा नहीं करती
ये तो दिल से दिल मिलने की बात हे मितरा
कभी पास रहकर भी दूरियां घट नहीं पाती
और कभी दूर जाकर भी नज़दीकिया मिट नहीं पाती
ज़िन्दगी तेरे आँचल में आखें रोज़ रो तो सकती हैं, पर हमेशा मुस्कुरा नहीं पाती
और तेरी ठोकरे हमें सयाना तो बना देती हैं, बस फिर से बच्चा नहीं बना पाती

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